आशा और निराशा में पल-पल डूबूंगा उतराऊंगा
दुख की गंगा में बहकर सुखसागर में मिल जाऊंगा
कहते हैं जो कहते रहें मैं उनकी बातें क्यों मानूं
मां के कदमों में गिरकर फिर बचपन सा खिल जाऊंगा
दुख की गंगा में बहकर सुखसागर में मिल जाऊंगा
कहते हैं जो कहते रहें मैं उनकी बातें क्यों मानूं
मां के कदमों में गिरकर फिर बचपन सा खिल जाऊंगा
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