कुछ दिल की
एक ब्लॉग दिल से दिल के लिए
मंगलवार, 25 मार्च 2014
चाक चले हाथ सधे
माटी की बिटिया गढ़े
कुम्हार जनक साजें मोहे
धागा नाल जुदा करे
आवं तपे रंग चढ़े
सजनी तब ससुराल चले
तेल-बाती साथ दें
रोशन फिर घर-द्वार करे
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