अपने घर का मोह कहां कब किससे छूटा है
बिटिया गई परदेस रिश्ता कब इससे छूटा है
जगते-सोते, हंसते-रोते, गर्मी-सर्दी-वर्षा में
यह दिल अब भी हरदम मायके को रोता है...
बिटिया गई परदेस रिश्ता कब इससे छूटा है
जगते-सोते, हंसते-रोते, गर्मी-सर्दी-वर्षा में
यह दिल अब भी हरदम मायके को रोता है...
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